लखनऊ: सादगी को भूल लगातार दिखावा का सबब बन रही शादियों में फिजूलखर्ची रोकने के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और धर्मगुरुओं ने शानदार पहल शुरु की है. आसान और सुन्नत निकाह की मुहिम के मद्देनजर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अपील पर जुमे की नमाज से पहले देशभर की मस्जिदों में ये इकरारनामा पढ़ा गया.
11 बिंदुओं का है इकरारनामा
दरअसल, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शादी और निकाह को लेकर 11 बिंदुओं वाला एक इकरारनामा जारी किया है. शादियों में सादगी, कम खर्च और निकाह और मेहर पर मुस्लिम समाज के लोगों को मजहब-ए-इस्लाम और इंसानियत का सच्चा और अच्छा तरीका बताया है. बता दें कि, इस इकरारनामे को मुस्लिम समाज का भरपूर समर्थन मिला है. इस इकरारनामे पर हस्ताक्षर करके मुस्लिम समाज के लोगों ने भरपूर समर्थन दिया।
मौलाना फरंगी महली ने पढ़वाया इकरारनामा
मुस्लिम समाज में एक आला मुकाम रखने वाली जामा मस्जिद ऐशबाग ईदगाह में भी ये इकरारनामा पढ़ा गया. इस दौरान मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने इकरारनामा पढ़वाने के बाद मुसलमानों से अपील भी की. महली ने कहा कि,निकाह सुन्नत तरीके से किया जाए. निकाह रस्म नहीं बल्कि इबादत है और इबादत में कोई नाजायज़ काम नहीं किया जा सकता. बेवजह की फिजूलखर्ची पर मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने साफ कहा कि, निकाह,वलीमे में नाच गाना आतिशबाजी नही की जानी चाहिए.निकाह के बाद दूल्हा-दुल्हन को उसकी मेहर तुरंत अदा करें.बेटियों के हक पर मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि, शरीयत के मुताबिक बेटियों को विरासत में अधिकार मिला है लिहाजाबेटियों को उस अधिकार से महरूम कर के गुनाहगार ना बने मुसलमान
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