नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ आज अयोध्या की विवादित भूमि मामले पर सुनवाई करने वाली है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने वाली है. इसी साल के मध्य में होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर सभी राजनैतिक पार्टियों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैससे पर टिकीं हुई हैं.
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने गत वर्ष 27 सितंबर को 2:1 के बहुमत से मामले को शीर्ष अदालत के 1994 के एक फैसले में की गई उस टिप्पणी को पुनर्विचार के लिये पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से मना कर दिया था जिसमें कहा गया था कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है. मामला अयोध्या भूमि विवाद मामले पर सुनवाई के दौरान उठा था.
नई संवैधानिक पीठ में कौन-कौन?
जब मामला चार जनवरी को सुनवाई के लिए आया था तो इस बात का कोई संकेत नहीं था कि भूमि विवाद मामले को संविधान पीठ को भेजा जाएगा क्योंकि शीर्ष अदालत ने बस इतना कहा था कि इस मामले में गठित होने वाली उचित पीठ 10 जनवरी को अगला आदेश देगी. नवगठित पांच सदस्यीय पीठ में न केवल मौजूदा प्रधान न्यायाधीश होंगे बल्कि इसमें चार अन्य न्यायाधीश भी होंगे जो भविष्य में सीजेआई बन सकते हैं. न्यायमूर्ति गोगोई के उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति बोबडे होंगे. उनके बाद न्यायमूर्ति रमण, न्यायमूर्ति ललित और न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की बारी आएगी.
अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से संबंधित 2.77 एकड़ भूमि के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 30 सितंबर, 2010 के 2:1 के बहुमत के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 अपीलें दायर की गई हैं. उच्च न्यायालय ने इस फैसले में विवादित भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बराबर- बराबर बांटने का आदेश दिया था.
इस फैसले के खिलाफ अपील दायर होने पर शीर्ष अदालत ने मई 2011 में उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगाने के साथ ही विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था.
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